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कवि (लघु?) ईश्वर कृत कुज्जरांवाले(पंजाब) के मंदिर की प्रतिष्ठा का स्तवन उपाध्याय सुयशचन्द्र-पंन्यास सुजशचन्द्रविजयजी

समयना वहेणने पारखी साहित्यनी सर्जना करता आपणा पूर्वाचार्योए मध्यकाळमां मारुगुर्जर भाषामां घणी रचनाओ करी छे। जेमांनी केटलीक तात्त्विक छे, तो केटलीक साहित्यिक, केटलीक भक्तिभाव...

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सूचीकरण शोध नवनीत लेखमाला- लेख २२ २० विहरमानजिनना लंछन संदर्भे थोडुंक संशोधन गजेन्द्र शाह

१४ महास्वप्न, अष्टमंगल, जिनेश्वरोनां लंछन आदि संदर्भेनां चित्रो, शिल्पांकनो विविध जग्याए जोवा मळे छे। आ चित्रोमां पण १४ महास्वप्नोनां केटलांक चित्रो तथा प्रतीको घणी...

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अप्रकाशित कृति परिचय लेखमाला-लेख-१९ विदग्धमुखमण्डन की टीकाएँ : कृति परिचय संजय कुमार झा

एक दृष्टि में मूल कृति परिचय : विदग्धमुखमण्डन नामक यह कृति बौद्ध विद्वान धर्मदास के द्वारा वि.सं. १३१० के आसपास रची गई है। यह अलङ्कार विषयक पद्यात्मक कृति है। इसमें प्रहेलिका और चित्रकाव्य से सम्बन्धित भी जानकारियाँ दी गई हैं। संस्कृत भाषामय कुल ४ परिच्छेदों व २७६ श्लोकों में निबद्ध है। रचनाशैली रोचक एवं बोधगम्य है। इसकी उपयोगिता और सरलता को लक्ष्य में रखते हुए अनेक जैन-जैनेतर विद्वानों ने अवचूरि, टिप्पण, टीका व व्याख्याएँ की हैं। इनमें कई टीकाएँ हैं, कुछेक आधुनिक टीकाएँ भी हैं जो प्रकाशित हैं, शेष प्राचीन टीकाएँ संभवतः अद्यावधि अप्रकाशित हैं। इस दिशा में विद्वानों को ध्यानाकृष्ट करने हेतु इस लेख के माध्यम से स्मरण दिलाना चाहता हूँ।

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जीतविजयजीकृत श्री सुपार्श्वजिन स्तवन उपाध्याय सुयशचन्द्र-पंन्यास सुजसचन्द्रविजयजी

सुपार्श्वनाथ प्रभुना जीवनचरित्र पर रचायेली प्रस्तुत रचना कुल ७ ढाळोमां पथरायेली स्तवन संज्ञक रचना छे। कृतिकारे अहीं प्रथम ढाळना मंगलाचरणमां मा शारदानी स्मरणा आलेख्या...

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कीर्तिविजय-शिष्यकृत श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथ स्तवन (खंभात तीर्थ) सा. श्री काव्यलेखाश्रीजी म.सा. (पू. नेमिसूरि समुदाय)

पांच ढाल अने ६९ गाथामां रचायेलुं आ स्तवन खंभातमां आवेला सागोटा पाडाना चितारी बजारना श्री चिंतामणि पार्श्वनाथनी स्तवना रूपे छे।

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अप्रकाशित कृति परिचय लेखमाला-लेख-१८ उपदेशमाला का टबार्थ : कृति परिचय संजय कुमार झा

एक दृष्टि में कृति परिचय : कृतिनाम- उपदेशमाला का टबार्थ। तपागच्छाधिपति आचार्य श्रीविजयप्रभसूरि के साम्राज्य में श्री धीरविमल गणि के शिष्य आचार्य श्री ज्ञानविमलसूरि...

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