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माधव ऋषि रचित जसवंत ऋषि चोमासां गणि सुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजयजी

प्रस्तुत कृति मुख्यतया ऋषि जसवंतजीना चातुर्मास स्थानोनुं निदर्शन करती ऐतिहासिक रचना छे। जेमां प्रारंभना १४ पद्योमां कृतिकारश्रीए ऋषिजीनी गुरुपरंपराना नामोल्लेखथी मांडी तेमना माता, पिता,...

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वाचक मानविजयजी कृत श्री वीतराग अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र सा. आर्ययशाश्रीजी म.सा. (पू. नेमिसूरि समुदाय)

आ कृति कलश सहित कुल २३ गाथामां रचायेली छे। पू. मानविजयजी म.सा. ए अद््भुतशैलीमां परमात्मानां १०८ नामोनुं गाथामां प्रास साथे निरूपण कर्युं छे। वितराग...

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ऊजल कविकृत शिवपुर(शिरोही) मंडण आदिनाथ चतुर्मुखप्रासाद स्तवन गणि सुयशचन्द्र-सुजसचन्द्रविजयजी

कुल ८४ पद्योमां गूंथायेल प्रस्तुत रचना सिरोही नगरना आदिनाथ प्रभुना चौमुख जिनालयनी प्रतिष्ठाने वर्णवती ऐतिहासिक रचना छे। कृतिकारे अहीं भाषा तथा वस्तु ए बे...

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गुलाबविजयजी कृत तारंगा सलोको गजेन्द्र शाह * डिम्पलबेन शाह

प्रस्तुत कृतिनो प्रारंभ कवि द्वारा सरस्वती माताने प्रार्थना करवा पूर्वक करायो छे। देशी भाषामय पद्यात्मक आ कृतिनो छंद प्रकार सलोको छे। सलोको सांभळतां नेमिनाथजीना...

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लखमण कविकृत नेमिनाथ स्तवन गणि सुयशचंद्र-सुजसचंद्रविजयजी

जैन दर्शनमां जो सौथी वधु काव्यो कोईने उद्देशीने रचाया होय तो ते प्रभु नेमनाथने उद्देशीने लखायां छे। कविओए प्रभुना जन्मथी मांडी बाल्यकाळ, बाल्यकाळनां पराक्रमो,...

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अप्रकाशित कृति परिचय लेखमाला-लेख १७ उत्तराध्ययनसूत्र की सुगमार्थ टीका : कृति परिचय पं. संजय कुमार झा

उत्तराध्ययनसूत्र की सुगमार्थ टीका। टीकाकार का नाम-पुण्यहर्ष के शिष्य वाचक अभयकुशल। टीका की भाषा-संस्कृत, कृति प्रकार-गद्य।  विषय-आगमिक, ग्रंथाग्र-९२४३, रचना संवत्-व स्थल-अज्ञात। एकमात्र ही हस्तप्रत है। वर्त्तमान में उपलब्ध सूचना के अनुसार यह जानकारी दी गई है। सूचीकरण कार्यगत प्रत संपादनादि कार्यों में शुद्धि-वृद्धिपूर्वक प्रत सम्बन्धी सूचनाओं में परिवर्तन सम्भव है। कृति की मूल सूचनाएँ यथावत् रहेंगी।

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