महादेवीसूत्र की दीपिका टीका। अर्थात् महादेवीसूत्र ज्योतिष ग्रन्थ की संस्कृतभाषामय दीपिका टीका। टीकाकार का नाम-वाचक धनराज। ये अंचलगच्छीय आचार्य श्रीभाववर्द्धनसूरि के प्रशिष्य एवं वाचक भुवनराज के शिष्य थे। टीका की भाषा-संस्कृत, कृति प्रकार-गद्य। विषय-ज्योतिष, ग्रंथाग्र-१५००, रचना संवत्- वि.सं.-१६९२, रचना स्थल-पद्मावतीपत्तन। संलग्न कुल हस्तप्रतों की संख्या-१४ है। इसमें ७ प्रतें सम्पूर्ण एवं ७ प्रतें अपूर्ण हैं। वर्त्तमान में उपलब्ध सूचना के अनुसार यह जानकारी दी गई है। सूचीकरण कार्यगत प्रत संपादनादि कार्यों में शुद्धि-वृद्धिपूर्वक प्रत सम्बन्धी सूचनाओं में परिवर्तन सम्भव है। कृति की मूल सूचनाएँ यथावत् रहेंगी।
आचार्य श्रीविजयदेवसूरिजी द्वारा करायेल चोवीश(२४) भगवानना गुणोने वर्णवती आ रचना छे। कृतिनी विशेषता ए छे के एक-एक गाथा द्वारा प्रत्येक परमात्मानी स्तवना कराई छे।...