श्रुतसागरप्रेमी वाचकों के कर-कमलों में इस बार एक अद्भुत एवं रोमांचक शोध-सन्दर्भ प्रस्तुत किया जा रहा है। हस्तप्रत सूचीकरण कार्य के अन्तराल में कभी-कभी...
चमत्कारचिन्तामणि पद्यानुवाद- अर्थात् चमत्कारचिन्तामणि ज्योतिष ग्रन्थ का पद्यानुवाद, कर्ता-श्रीसार, कर्ता के गुरु का नाम-रत्नहर्ष-खरतरगच्छीय क्षेम/खेमकीर्ति शाखा, भाषा-पुरानी हिन्दी, कृति प्रकार-पद्य। विषय-ज्योतिष, दोहा परिमाण-१०८, रचना संवत्-वि.सं.-१७वीं अनुमानित, संलग्न कुल हस्तप्रतों की संख्या-२१ है। वर्त्तमान में उपलब्ध सूचना के अनुसार यह जानकारी दी गई है। सूचीकरण कार्यगत प्रत संपादनादि कार्यों में शुद्धि-वृद्धिपूर्वक प्रत सम्बन्धी सूचनाओं में परिवर्तन सम्भव है। कृति की मूलभूत सूचनाएँ यथावत् रहेंगी।
अरिहंत वंदनावलीनी जेम गुर्जर भाषामां रचायेली कोई रचना विशेष प्रसिद्धने पामी होय तो ते कवि श्यामजी देसाई कृत रत्नाकर पच्चीसी। मूळे तो स्वपापोनी आलोचनाना...