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सूचीकरण शोध नवनीत लेखमाला- लेख २१ चन्द्र एवं अभिवर्द्धित संवत्सरानुसार महावीरजिन के ७२ वर्षायुमान विवरण-एक हस्तलिखित प्रत आधारित संजयकुमार झा

श्रुतसागरप्रेमी वाचकों के कर-कमलों में इस बार एक अद्भुत एवं रोमांचक शोध-सन्दर्भ प्रस्तुत किया जा रहा है। हस्तप्रत सूचीकरण कार्य के अन्तराल में कभी-कभी...

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अज्ञातकृत धर्म आराधना सज्झाय मुनि वंदनरुचिविजय (पू. सिद्धिसूरि(बापजी)म.सा. समुदाय)

जिनशासनमां श्रुतज्ञान ४ अनुयोगमां वहेंचायेलुं छे. (१) द्रव्यानुयोग (२) गणितानुयोग (३) चरणकरणानुयोग (४) कथानुयोग। आ दरेक सामान्यजनने समजवा बहु अघरा छे। एवा आ अघरा...

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अज्ञात कविकृत सोजतनगर ग़ज़ल गणि सुयशचंद्र-सुजसचंद्रविजयजी

आपणा पूर्वाचार्योए विविध ग्रंथ रचनाओ द्वारा मात्र जिनशासननी श्रुतसंपदा वधारी छे तेवुं नथी ते समयज्ञ महापुरुषोए जे समये जेनी आवश्यकता हती ते समये ते...

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अप्रकाशित कृति परिचय लेखमाला-लेख १५ चमत्कारचिन्तामणि का पद्यानुवाद : कृति परिचय लेखक- संजय कुमार झा

चमत्कारचिन्तामणि पद्यानुवाद- अर्थात् चमत्कारचिन्तामणि ज्योतिष ग्रन्थ का पद्यानुवाद, कर्ता-श्रीसार, कर्ता के गुरु का नाम-रत्नहर्ष-खरतरगच्छीय क्षेम/खेमकीर्ति शाखा, भाषा-पुरानी हिन्दी, कृति प्रकार-पद्य। विषय-ज्योतिष, दोहा परिमाण-१०८, रचना संवत्-वि.सं.-१७वीं अनुमानित, संलग्न कुल हस्तप्रतों की संख्या-२१ है। वर्त्तमान में उपलब्ध सूचना के अनुसार यह जानकारी दी गई है। सूचीकरण कार्यगत प्रत संपादनादि कार्यों में शुद्धि-वृद्धिपूर्वक प्रत सम्बन्धी सूचनाओं में परिवर्तन सम्भव है। कृति की मूलभूत सूचनाएँ यथावत् रहेंगी।

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श्रीपद्मविजय मुनिकृत तीर्थमाला स्तवन सा. दीपयशाश्रीजी म.सा. (नेमिसूरि समुदाय)

आ कृतिनी भाषा मारुगूर्जर छे। जे अत्यंत कर्णमधुर अने ताल लयबद्ध रचना करी छे। कृतिनी त्रीजी गाथामां कर्ताए ‘तीरथमाला बोलवा माता दिउ वरदान’ एम...

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अज्ञातकर्तृक रत्नाकर पच्चीसी चौपाई गणि सुयशचंद्र-सुजसचंद्रविजयजी

अरिहंत वंदनावलीनी जेम गुर्जर भाषामां रचायेली कोई रचना विशेष प्रसिद्धने पामी होय तो ते कवि श्यामजी देसाई कृत रत्नाकर पच्चीसी। मूळे तो स्वपापोनी आलोचनाना...

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