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अप्रकाशित कृति परिचय लेखमाला लेख-१४ विवाहपटल का पद्यानुवाद : कृति परिचय पं. संजय कुमार झा

कृतिनाम- विवाहपटल-भाषा अर्थात् विवाहपटल का पद्यानुवाद, कर्ता-अभयकुशल, कर्ता के गुरु का नाम- पुण्यहर्ष-खरतरगच्छीय, भाषा-मा.गु., कृति प्रकार-पद्य. विषय-ज्योतिष, गाथा परिमाण-६३, रचना संवत्-अनुपलब्ध, संलग्न कुल हस्तप्रतों की संख्या-३५ है। वर्तमान में उपलब्ध सूचना के अनुसार यह...

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वाचक उदयविजयकृत जालोरगढरी गझल गणि सुयशचंद्र-सुजसचंद्रविजयजी

स्वर्णगिरिना नामथी प्रसिद्ध झालोरनगरनी वर्णना आलेखती रचना एटले ज प्रस्तुत गझल। मूळे क्षेत्रिय-गझलना दृष्टिकोणथी गूंथायेली आ गझलमां कृतिकारे झालोरनी ऐतिहासिकता वर्णववा साथे त्यांनी राजकीय,...

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जातकराजपद्धति : कृति परिचय अप्रकाशित कृति परिचय लेखमाला-लेख-१३ पं. संजय कुमार झा

मूलकृतिनाम-जातकराजपद्धति, कर्ता-पं.यशस्वत्सागर, गुरु-यशःसागर, गच्छ-तपागच्छ, भाषा-संस्कृत, कृति प्रकार-पद्य. विषय-ज्योतिष, अधिकार-१६, लेखन व रचना संवत्-१७६२, लेखन व रचना स्थल-नरायणानगर, संलग्न कुल हस्तप्रतों की संख्या-४ है। वर्तमान में उपलब्ध सूचना के अनुसार यह जानकारी दी गई है।...

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सूचीकरण शोध नवनीत लेख – १८ प्रतिलेखक द्वारा पत्रांक लेखन व गाथानुक्रमभंग पाठ उदाहरण प्रत क्रमांक-१७८१९८ के सन्दर्भ में पं. संजय कुमार झा

हस्तप्रत सूचीकरण कार्य के अन्तराल में ध्यान में आई हुई जैसी भी प्रत, जिस रूप में हो, उसका योग्य रूप से परिचय देना होता...

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सहजकीर्ति गणि रचित सुगुरु-कुगुरु षट्त्रिंशिका मुनि चंद्रदर्शनविजय म.सा. (डहेलावाला)

पू. सहजकीर्ति गणि रचित सुगुरु-कुगुरुनी आ छत्रीसी छे। संवत १६८४मां कारतक सुदमां पूज्यश्रीए आ छत्रीसी रची छे। सुगुरु अने कुगुरु कोने कहेवाय ? एनी...

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विभिन्न कवि कर्तृक बे अप्रगट विवाहला गणि सुयशचंद्र-सुजसचंद्रविजयजी

विवाहलो एटले ज व्याहलो। तेनो अर्थ थाय विवाह संबंधी काव्य। मध्यकाळमां विवाह संज्ञक काव्यो माटे आ काव्य प्रकार घणो प्रचलनमां होई तेमां कृष्ण-रुक्मिणी विवाह,...

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