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Category: Jainism

ज्योतिषसारोद्धार : कृति परिचय अप्रकाशित कृति परिचय लेखमाला-लेख-१२ लेखक-संजय कुमार झा

 एक दृष्टि में कृति परिचय : मूलकृतिनाम- जातकपद्धति,  कर्ता-हर्षविजय, गुरु-सुखविजय, भाषा-संस्कृत, कृति प्रकार-पद्य, विषय-ज्योतिष, श्लोक-९३, रचना संवत्-१७६५, रचना स्थल-नवीननगर, संलग्न कुल हस्तप्रतों की संख्या-५९,...

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सूचीकरण शोध नवनीत लेख – १७ प्रतिलेखक द्वारा लिखित भ्रामक पाठ परिचय के सन्दर्भ में पं. संजय कुमार झा

हस्तप्रत सूचीकरण कार्य अन्तर्गत छोटे-बड़े संशोधन में अलग-अलग प्रकार के अनुभव होते रहते हैं। इस बार के लेख में एक अलग प्रकार का ही...

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श्री धनविजय मुनिकृत श्री नेमनाथ स्तवन सा. श्री ऋषभलेखाश्रीजी (नेमिसूरि समुदाय)

प्रस्तुत स्तवनमां श्री शत्रुंजय उपर सिद्ध अवस्था पामेला महापुरुषोना नामोल्लेखपूर्वक शत्रुंजयतीर्थनी स्तवना कराई छे। कर्ताने आसो मासनी रात्रीए स्वप्नमां दादानां दर्शन थयां अने कृति...

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कवि ब्रह्मर्षि कृत परमेश्वर प्राघूर्णक स्तवन गणि सुयशचंद्र-सुजसचंद्रविजयजी

‘नवधा भक्ति’ आ शब्दथी आपणे परिचित छीए। मूळे वैदिक परंपरामां वपरातो आ शब्द प्रभुनी नव प्रकारे भक्ति सूचवे छे। जेमानां श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पादसेवन,...

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जैन अंगसूत्रों के आधार पर बुद्ध एवं महावीर की समकालीनता की समीक्षा

आधुनिक इतिहासकारों ने बौद्ध ग्रंथों के कतिपय आधारों से बुद्ध एवं महावीर को समकालीन माना है। बुद्ध एवं महावीर की समकालीनता प्रस्थापित करने के लिए बौद्धग्रन्थों के साथ जैनागमों का अध्ययन भी अत्यंत आवश्यक है। बौद्धग्रन्थों में महावीर स्वामी के लिए निवेदन किए...

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विविध संवतों का प्रमाणसिद्ध अंतर एवं वीर निर्वाण की निर्विवाद कालगणना

वीर निर्वाण के सही समय को सिद्ध करने के लिए एकाधिक प्रमाणों एवं युक्तिओं में से एक प्रमाण विविध संवतों के अंतर का भी...

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ऊजल कविकृत शिवपुर(शिरोही) मंडण आदिनाथ चतुर्मुखप्रासाद स्तवन-गणि सुयशचन्द्र – सुजसचन्द्रविजयजी

कुल ८४ पद्योमां गूंथायेल प्रस्तुत रचना सिरोही नगरना आदिनाथ प्रभुना चौमुख जिनालयनी प्रतिष्ठाने वर्णवती ऐतिहासिक रचना छे। कृतिकारे अहीं भाषा तथा वस्तु ए बे...

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वाचक मानविजयजी कृत श्री वीतराग अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र – सा. आर्ययशाश्रीजी म.सा. (पू. नेमिसूरि समुदाय)

आ कृति कलश सहित कुल २३ गाथामां रचायेली छे। पू. मानविजयजी म.सा. ए अद््भुतशैलीमां परमात्मानां १०८ नामोनुं गाथामां प्रास साथे निरूपण कर्युं छे। वितराग...

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ग्रंथसूचना शोधपद्धति : एक परिचय – 5

स्पेशल क्वेरी- कुछ विशेष परिस्थितियों में, जब प्राप्त अपूर्ण सूचनाओं के आधार पर किसी भी शोध-प्रपत्र में कृति, प्रकाशन, हस्तप्रत अथवा मैगेजिन अंक को...

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